Wednesday, December 7, 2011

प्यार के दो लफ्ज़


प्यार के दो लफ्ज़ कहोगे तुम मुझसे अगर,
इज़हार करना मुझसे, रुकना मगर;
आन्धियाँ, तूफ़ान, सैलाब पार कर गए जब,
डरना क्या किसी से, हो गए है एक जब |

रात कटती है निंदिया बिना
जब एक पल बीतती है तुम्हारे बिना;
सुबह हो दोपहर हो या शाम हो,
बस तेरे ही साथ हमेशा हो |

चंद्रमा की चांदनी और सूरज की किरने जैसी,
फूलों की खुशबू और चिड़ियों की चेहेक जैसी,
प्यार तेरा मानो जैसे कोई शराब हो,
जितनी पीयूँ उतनी ही और प्यास हो  |

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